अपने शौक़ को ज़िंदा रखने वाले और उसी शौक़ को शक्ल देने की हसरत रखने वाले ‘अजय माँगा’ पेशे से वक़ील हैं। अजय दिल्ली में रहते हैं और ग़ज़लों के शौक़ीन हैं। बचपन से ही श्री जगजीत सिंह जनाब ग़ुलाम अली और पंकज उधास साहब की ग़ज़लें सुनते-सुनते कब लिखने का शौक़ ज़िंदा हो गया मालूम नहीं मगर जो भी जैसा भी लिखा दिल में हसरत रही कि कोई उनकी ग़ज़लें गाये और अपनी ग़ज़लों की किताब छपे। इसी हसरत को अंजाम देने के लिए इंडो एशियाई साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने अजय की ग़ज़लों की दो किताबें प्रकाशित की। एक ‘स्वर संगम’ और दूसरी ‘पेश-ए-ख़िदमत’ है।
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