*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹142
₹170
16% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
कभी कभार.... कभी कभार... टहल लेती हूँ रिश्तों के बाजार में सोचती रहती हूँ मन ही मन में अपनों से परायापन पाकर रो लूँ या परायों से अपनापन पाकर हस लूँ कभी कभार.... देख लेती हूँ दिल के दर्पण में कर लेती हूँ खुद से मुलाकात ढूँढ लेती हूँ अपनी कमियाँ खोज लेती हूँ औरों की खूबियाँ कभी कभार.... लिख लेती हूँ शेर ओ शायरी पढ लेती हूँ मन की डायरी फाड देती हूँ अनचाहे अहेसासों के सफ़्हे जोड देती हूँ मनचाहे जज्बातो के पन्ने..... -गीता ठक्कर गीत