SAHITYA KI SAMKALINTA
shared
This Book is Out of Stock!

About The Book

कहना न होगा कि साहित्य हमेशा अपने समय और समाज से सार्थक संवाद में लगा हुआ मिलता है । समकालीन साहित्य तक उसकी निरन्तरता बनी हुई है । इसी संवाद के चलते वह अपने समय के अहम मुद्दों और उसके विभिन्न पहलुओं को अंकित करता आ रहा है । ऐसे मुद्दों पर अपनी ओर से सोचने - समझने का प्रयास इस आलोचनात्मक पुस्तक के विभिन्न आलेखों में हुआ है । इस पुस्तक में चार खण्ड हैं । पहले खण्ड में तीन उपन्यासों ''सुधियों में तिरता मोरपंख '' '' शेष कादम्बरी '' और शुद्धिपत्र '' का मूल्यांकन प्रस्तुत हुआ है । दूसरे खण्ड में '' भ्रमरगीत '' मुक्तिबोध समकालीन कविता स्त्री कविता अनामिका कात्यायनी वीरेन डंगवाल ज्ञानेन्द्र पति केरल के कवि पी वी विजयन जैसे विभिन्न कवियों और कविताओं पर केन्द्रित आलेख हैं । तीसरे खण्ड में कहानियों का मूल्यांकन हैं जो प्रेमचंद स्वयं प्रकाश समकालीन हिंदी कहानी आदि पर केन्द्रित हैं । चौथे खण्ड में कृष्णा सोबती की मुक्तिबोध पर लिखी गई समीक्षात्मक पुस्तक पर लिखा गया आलेख है । समय समय पर लिखे गये आलेखों को एक साथ समेटने का प्रयास इसमें हुआ है । इसलिए इनमें कहीं दोहराव की संभावना है । लेखों के मूल में मेरे गुरुजनों की प्रेरणा अवश्य रही है । उनके प्रति सदैव मैं आभारी रहूँगी । -राजेश्वरी के
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
239
399
40% OFF
Paperback
Out Of Stock
All inclusive*
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE