कहानीकार अनुज की यह ताज़ा पुस्तक ‘साहित्य साठोत्तर’ साहित्यिक आलोचना की दृष्टि से अति महत्त्व की है। यह बीते समय के पूर्वप्रकाशित दुर्लभ आलेखों का संग्रह है। इन आलेखों में साठ के बाद की साहित्यिक प्रवृत्तियों में आने वाले परिवर्तनों की झलक देखी जा सकती है। यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। इतिहास दृष्टि के साथ इस पुस्तक का गंभीर अध्ययन साहित्य के इतिहास-लेखन के लिए भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
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