Sai Dhun

About The Book

हम जब डर में होते हैं संदेह में होते हैं उलझे हुये होते हैं या किसी तकलीफ़ में होते हैं तो हमारी नज़र अपने करीबी लोगों को ढूँढ़ने लगती है अपने परिवार को अपने रिश्तेदारों को अपने दोस्तों को या उन लोगों को जो हमारे लिए भला सोचते हैं। लेकिन कई बार कुछ रुकावटें या परेशानियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें सुलझाने में ये सारे लोग भी कम पड़ जाते हैं और ऐसे में हमारा सबसे बड़ा संबल बनता है हमारी आस्था उस अलौकिक शक्ति के लिए जिसे हमने देखा तो नहीं है लेकिन जिसके प्रति हमारा भरोसा ऐसा है कि वो सबकुछ ठीक कर देंगे। इस किताब में ऐसे ही एक अलौकिक शक्ति के प्रति लेखिका की आस्था और उनके मनोबल से निकली ऊर्जा से हुये चमत्कारों का वर्णन है। वो दैविक शक्ति जिसे लोगों ने आँखों से देखा है एक साधारण से इंसान के रूप में जिनके पास कोई वैभव तो नहीं था लेकिन जिनके पास बहुत सारी करुणा और अपनापन था।
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