Saket

About The Book

“साकेत” हिंदी के श्रेष्ठ कवि मैथिलीशरण गुप्त की अमर काव्यकृति है जो रामायण की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है — उर्मिला के माध्यम से। यह काव्य केवल राम-कथा नहीं बल्कि त्याग नारी के आत्मबल और मानवीय संबंधों की गहराई का प्रतीक है। उर्मिला का मौन उनका प्रतीक्षा-जीवन और पतिव्रता-धर्म की व्याख्या — गुप्त जी की संवेदनशीलता को उजागर करते हैं। “साकेत” में भाषा की मधुरता भावों की गंभीरता और छंद की अनुशासित लय का अद्भुत संगम है। यह कृति भारतीय नारी के आदर्श और मानवता की मर्यादा का सशक्त स्तंभ है — जो हर युग में प्रासंगिक बनी रहती है। “नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नव-मंजूषा।”
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