*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹141
₹160
11% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
साकी़ तू पिला दे आज कविता ना मेरी और ना ही आपके बारे में है यह हर उस शख्स के बारे में है जिसने कभी ना कभी मधुपान किया हो या करने की कोशिश कर रहा हो और कर नहीं पा रहा हो। उसके मन का डर भी इस कविता में सहेजा गया है। मधु के विषय में गहनता से बहुत बार लिखा गया है एवं अलग अलग अंदाज में इसकी व्याख्या की गई है परंतु इतनी सरल एवं सहज भाषा में कविता के रूप में शायद यह पहली बार लिखा जा रहा है। इस कविता के अंदर मधु लेने से पहले और उसके अंतिम चरण तक पहुंचने की प्रक्रिया को आम आदमी की भाषा में कविता के रूप में बताया गया है। हाला का रसपान करने से व्यक्ति के विचारों का प्रभाव किस तरह बहता है उसको कविता के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत किया है। यह कुछ पंक्तियां भी इस कविता का हिस्सा है। द्वार नरक के खुल्ले रखना जब भी आऊँ तेरे द्वारे बस संग में रहने देना मेरी मदिरा और प्याले तुझसे ना कोई शिकवा होगी होगी संग साकी़ बाला नर्क में होगा स्वर्ग का वास साकी़ तू पिला दे आज