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About The Book
Description
Author
मनुष्य समर्थ है और समझता है कि इस सामर्थ्य का स्रोत वही है और वही इसका उपार्जन करता है | वह केवल अपने सामर्थ्य को ही देखता है अपनी सीमाओं को नहीं | सामर्थ्य और सीमा अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियां एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं | हर व्यक्ति अपनी महत्ता अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था-हरेक को अपने पर अटूट अविश्वास था | लेकिन परोक्ष की शक्तियों को कौन जानता था जो इनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थी | भगवतीचरण वर्मा के