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About The Book
Description
Author
कविता की बारीक आवाजें सुनने के मुंतजिर नीलोत्पल अपने संग्रह 'समय के बाहर सिर्फ पतझर है' (लोकोदय) के साथ हाजिर हैं। वह कुदरत के बहुत क़रीब जाते हैं तथा उसकी महीन से महीन प्रतिध्वनियाँ सुनते हैं। समय को एक ख़ाली सड़क मानते हैं तो जीवन को वेदना की अंतहीन लिखावट भी। वह कहते हैं कि 'मैं इस तरह प्रकृति में प्रवेश करता हूँ। कहीं की कलम कहीं रोप देता हूँ। बिना जाने बुहार देता हूँ आंगन।' उनका यह कहना कि सिर्फ प्यार करना चाहिए और मर जाना चाहिए ताकि जिंदगी को और अधिक सख्त चोट न लगे प्रेम को जीवन में प्रश्रय देने की उसकी प्रतिबद्धता की ही साक्ष्य है। - ओम निश्चल