Samay ki chunari smritiyon ke chand (Poems)

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इस लघु काव्य संग्रह का परिचय देने का प्रयास करते हुए लेऽनी स्वयं सम्मोहित है। समय की चुनरी का परिचय हो भी क्या सकता है यह तो काल की गति का एक स्थूल मापदंड है। एक क्षण का समय प्रतिभाषित होता है किंतु उस क्षण के भीतर छुपे असंख्य क्षणों का क्या? यह सूक्ष्मतम तन्तु मिलकर समय की चुनरी बुनते हैं। पर यह बुनाई साधारण नहीं न ही इसका कोई तय स्वरूप वर्ण अथवा सूत्र है। इसे किस यन्त्र से बुना जाएगा कौन बुनेगा यह भी पता नहीं। कभी लगता है मेरे कर्म बुन रहे थे। जन्म जन्मांतर के कर्म जो विस्मृत हो चुके हैं कुछ भी हो यह सब प्राणियों के जीवन की सुकृति दुष्कृत्यों का एक अनूठा संगम है।
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