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About The Book
Description
Author
जो उस मूलस्रोत को देख लेता है--यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है--वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है।’ वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है जो मनुष्यता के पार है। जिसको मैंने ‘संभोग से समाधि की ओर’ कहा है उसको ही बुद्ध ‘अमानुषी रति’ कहते हैं। एक तो रति है मनुष्य की--स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है या आभास होता है कम से कम। फिर एक और रति है जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है_ जब तुम अपने से मिलते हो। एक तो रति है दूसरे से मिलने की। और एक रति है अपने से मिलने की। जब