समकालीन हिंदी कविता: घर स्त्री और बाजार‘ युवा समीक्षक लकी चौधरी की पहली किताब है लेकिन इस पुस्तक के अध्यायों में जो गहन विश्लेषण हैवह इस युवा आलोचक की प्रतिभा और अध्यवसाय का उदाहरण तो है ही साथ ही उसकी परिपक्वता और दृष्टि विस्तार का भी परिचायक है। इस पुस्तक में लकी चैधरी ने रघुवीर सहाय की कविताओं में चित्रित स्त्री जीवन की पड़ताल करते हुए जिस दृष्टि का उपयोग किया है उसमें भारतीयता और आधुनिकता -दोनों का सुंदर संयोग है। इस युवा अध्येता में कहीं भी अतिवाद नहीं है। उसमें सत्य को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का शऊर है।कविता और बाजार के अंतर्संबंध पर उसने गम्भीर विचार किया है। घर उसकी आत्मा के बेहद करीब है यह उसके चयन और विश्लेषण से साफ-साफ झलकता है। इस पुस्तक में बहुत कुछ ऐसा है जिसमें नएपन की खुशबू है। कहने की आवश्यकता नहीं कि लकी चौधरी की यह पुस्तक समकालीन कविता के अध्येताओं के लिए निश्चय ही उपयोगी साबित होगी।
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