मूलत: कहानीकार और भारतीय स्त्री की जटिल मनोभूमि का उत्खनन करनेवाली अनेक कहानियों की रचयिता मन जी ने उपन्यास कम ही लिखे हैं । जिन दो उपन्यासों '' आपका बंटी '' और '' महाभोज '' के लिए उन्हें विशेष तौर पर जाना जाता है वे हिन्दी उपन्यास के इतिहास में क्लासिक का दर्जा रखते हैं । उनकी उपन्यास-कला ने अपने उसी सहज रास्ते अपना आकार लिया जिससे उनकी रचनात्मकता के अन्य रूप कहानियों में उतरे थे । इसीलिए '' आपका बंटी '' और '' महाभोज '' को भी किसी शिल्पगत चमत्कार के लिए नहीं अपनी विषयवस्तु के प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण और अबाध पठनीयता के लिए जाना जाता है । '' एक इंच मुस्कान '' भी जो रचनाक्रम के लिहाज से मन जी का पहला उपन्यास है और अपनी संरचना में प्रयोगधर्मी भी इस विशेषता से रहित नहीं है । सर्वविदित है कि यह उपन्यास मन्नू भंडारी और राजेन्द्र यादव की संयुक्त रचना है जिसकी रचना-प्रक्रिया के विषय में मन्नू जी ने प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका में विस्तार से जानकारी दी है । इन तीन उपन्यासों के साथ इस संकलन में मन्नू जी के अन्तिम उपन्यास '' स्वामी '' को भी रखा गया है । मूलत: शरत् की इसी नाम की कहानी पर आधारित यह उपन्यास अपने चरित्रों की संरचना और तेवर में मूल से इतना दूर आ जाता है कि वह लेखिका की अपनी ही स्वतंत्र रचना हो जाता है । मन्नू जी के चारों उपन्यासों की यह प्रस्तुति उनके पाठकों के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी उपादेय होगी ।
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