जीवन में लक्ष्य का निर्धारण अति आवश्यक है। बिना नियोजित लक्ष्य के अपेक्षित परिणाम की आशा ही व्यर्थ है। संपूर्ण विकास इंसान का लक्ष्य होता है किंतु जागरूकता के अभाव में लक्ष्य आधा-अधूरा रह जाता है।<br><br>यह पुस्तक इसी विषय पर केंद्रित है जो इंसान को संपूर्ण शारीरिक मानसिक आर्थिक सामाजिक व आध्यात्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन कराती है। जिससे वह स्वत: संपूर्ण विकास का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। पुस्तक में तेजगुरू सरश्री तेजपारखी के प्रेरक प्रवचनों एवं लेखों का संकलन किया गया है। पुस्तक मुख्यत: 6 खण्डों में विभक्त है। प्रथम खण्ड विद्यार्थियों तथा सफलता चाहनेवाले लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। शेष खण्डों में शारीरिक मानसिक आर्थिक सामाजिक आदि विकास के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला गया है। पुस्तक में भय क्रोध चिंता अहंकार ईर्ष्या आदि को संपूर्ण विकास की राह का रोड़ा बताया गया है और सरल शब्दों में इन विकारों से मुक्ति पाने की युक्ति का वर्णन किया गया है। लक्ष्य त्रिकोण द्वारा जीवन को दिशा देकर कैसे संपूर्ण विकास का मार्ग तय किया जा सकता है यह पुस्तक द्वारा विधिपूर्वक बताया गया है।<br><br>पुस्तक में वर्णित सरश्री के विचार लोक जीवन पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव डालनेवाले हैं। वैचारिक द्वंद्व में फॅंसे पाठक जिन समस्याओं से हताश हो गए हों पुस्तक उन्हें उबारने में संजीवनी का काम कर सकती है। पुस्तक में प्रयुक्त भाषा सरल गंभीर और बोधगम्य है जिसे पाठक रुचिपूर्वक ग्रहण कर सकता है।
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