लेखन विधा चाहे जो भी हो वह कहानी हो उपन्यास नाटक निबंध हो। लेखक अपनी कल्पनाओं विचारों संस्कारों आदि को शब्दों और वाक्यों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। मैं भी प्राय: गद्य लेखन करता हूँ वह चाहे उपन्यास हो या कहानियाँ हों लेकिन कभी-कभी कुछ वाक्य अनायास मस्तिष्क में आ जाते हैं जो मेरे किसी गद्य के अंश नहीं होते हैं। कभी किसी कहानी को लिखते-लिखते राह चलते किसी कार्य को देखते - सुनते या बस-ट्रेन में यात्रा के समय खिड़की से बाहर देखते मन के भीतर आ जाते हैं। उन्हीं को कविताओं के माध्यम से लिख लेता हूँ। एकलव्य पर टी. वी. पर धारावाहिक देखते ही अनायास कविता लिख उठा। शहर के श्रम बाजार (लेबर मार्केट) को देख वहाँ खड़े श्रमिकों को देख उनकी विवशता पर कुछ लिख डाला।
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