<p>परमकैव्लय महाप्रभु की श्रेष्ठ रचना मनुष्य है परम ऐश्वर्य और परम आनंद उसके भीतर है फिर भी ईश्वर अप्रकट क्यों है?मनुष्य आज दुःखी अशांत पीड़ित क्यों है?<br />मनुष्य जीवन मिलने का क्या उद्देश्य है?<br />सांसारिक तथा आध्यात्मिक जीवन के गहनतम सवालों के जवाब क्या हैं?<br />अपने भीतर ज्ञानरूपी दिव्य प्रकाश को प्रकट करें।</p>
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