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About The Book
Description
Author
ये कविताएं पानी के उन रूपों को देखकर लिखी गयी हैं जिन्हें आप और मैं अपनी भाषा मे समुद्र कहते हैं।समुद्र के अलावा मुझे समुद्र मे तैरती मछलियां दूसरे जहाज समुद्री पक्षी और बन्दरगाह दिखे। इसलिए उनका कविताओं मे आना सामान्य सी बात है। कुछ अन्य विषयों मे भी समुद्र ही रूपक बना और समुद्र ने अपने माध्यम से ही मुझसे कविताएं लिखवाई। आप कह सकते हैं कि वह मेरे भीतर इतनी बहुतायत मे मौजूद था कि बार-बार मेरी भाषा मे उतर आता था। इस संग्रह की सभी कविताएं पिछले दो वर्षों के जहाज के प्रवास के दौरान लिखी गयी हैं हालांकि समुद्र और मेरा साथ एक लम्बे समय से रहा है और निश्चित है कि उन समस्त यात्राओं की स्मृतियों ने भी इन कविताओं मे अपना हस्तक्षेप किया ही होगा। -योगेश कुमार ध्यानी