जो लोग जन्म को ही जीवन समझने लगते हैं वे चूक जाते हैं। जन्म जीवन नहीं है। जन्म केवल प्राण है जीवन नहीं है। जन्म से कोई भी पैदा नहीं होता। पैदा होने के लिए फिर एक और जन्म भी लेना पड़ता है। मनुष्य के साथ ही यह अनूठी घटना घटती है। पशु-पक्षी जन्म के साथ ही जीवन ले लेते हैं। किसी कुत्ते को हम यह नहीं कह सकते कि तुम थोड़े कम कुत्ते हो। आदमी को कह सकते हैं कि तुम थोड़े कम आदमी हो। कुत्ते को हम नहीं कह सकते कि जीवन को उपलब्ध करो सच्चे कुत्ते बनो! कुत्ता सच्चा होता ही है। वह पैदाइश के साथ ही पूरा पैदा होता है। वह पूरा पैदा होता है वह रेडीमेड पैदा होता है उसको कोई स्वतंत्रता नहीं है। वह जीवन में कुछ नहीं करता जीवन उसे दान में मिलता है। सिर्फ मनुष्य की यह गरिमा है लेकिन उसे ही हम अधिक लोग दुर्भाग्य बना लेते हैं। मनुष्य जन्म के साथ पूरा नहीं जन्मता सिर्फ संभावना है सिर्फ एक अवसर पैदा होता है। अगर हम चाहें तो इस अवसर का उपयोग करें और हम चाहें तो वह अवसर खो सकता है। जन्म के बाद जीवन को अर्जित करना होता है। मनुष्यता अर्जित है--श्रम से संकल्प से साधना से उपलब्ध है। इसीलिए मनुष्यों में इतने प्रकार के मनुष्य हो सकते हैं। उसमें गोडसे हो सकते हैं उसमें गांधी हो सकते हैं। उसमें रावण हो सकता है उसमें राम हो सकते हैं। उसमें जुदास हो सकता है उसमें जीसस क्राइस्ट हो सकते हैं। उसमें ठीक नरक को छूने वाली प्रतिभाएं हो सकती हैं उसमें स्वर्ग की सुगंध देने वाले व्यक्ति हो सकते हैं। उसमें निम्नतम गहराइयों में उतर गए अंधकार में डूब गए लोग हो सकते हैं; उसमें सूर्य की तरफ उड़ान लेते हुए प्रकाश से भरी हुई आत्माएं हो सकती हैं। मनुष्य एक अनंत संभावना है। वह दोनों छोर छू सकता है। वह पाताल छू सकता है वह आकाश छू सकता है। और जन्म के साथ वह केवल संभावना लेकर पैदा हो सकता है छूने की। छूने की संभावना मात्र लेकर पैदा होता है--उड़ने की संभावना चलने की संभावना--लेकिन मंजिल उसके हाथ में नहीं होती। वह पूरब भी जा सकता है और पश्चिम भी जा सकता है। मुझे एक घटना स्मरण आती है। एक बहुत बड़ा रोम में चित्रकार हुआ। मरते समय उससे किसी ने पूछा कि तुमने अपने जीवन के सबसे महान चित्र कौन से बनाए कितने बनाए? उसने कहा मैंने अपने जीवन के दो महान चित्र बनाए--एक जब मैं जवान था और एक अभी जब मैं बूढ़ा हो गया हूं। पूछने वाले ने पूछा कि वे दो कौन से चित्र हैं? उस चित्रकार ने कहा और तुम्हें हैरानी होगी उन चित्रों की कहानी सुन कर। मैं तुम्हें उनकी कहानी सुनाना चाहता हूं। तभी तुम समझ सकोगे कि उन चित्रों को मैं महान क्यों कहता हूं। —ओशो
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