लेकर सामन्तवादी-पूंजीवादी-साम्राज्यवादी आधिापत्य ने उनकी ज़िन्दगी को बुरी तरह जकड़ रखा है। ज़ाहिर है जकड़न जितनी मजबूत होगी-मुक्ति की आकांक्षा भी उतनी ही तीव्र होगी। फ़लतः यह आकांक्षा व्यक्तिगत मुक्ति से लेकर समाज की मुक्ति तक व्याप्त हो जाती है। औरतों की मुक्ति की यह आकांक्षा समय दर समय प्रकट होती रही है। यह अलग बात है कि उनके इस संघर्ष को इतिहास में पर्याप्त जगह नहीं प्रदान की गयी है। औरतों की गुलामी के इतिहास को तो बहुत प्रामाणिक तरीके से एंगेल्स ने ‘परिवार निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति’ में लिख दिया है और हज़ारों सालों से औरतें हर युग में हर देश में अपनी मुक्ति की लड़ाई लड़ रहीं हैं। परन्तु मुक्ति के लिए उनके इस संघर्ष को बहुत कम कलमबद्ध किया गया है। ‘सान्दीनो की बेटियां’ औरतों के उसी इतिहास की कहानी उन्हीं की जुबानी बयान करती है। इस किताब में निकारागुआ में अमेरिका की छ=छाया में पल रहे तानाशाह सोमोजा के भीषण दमन के खि़लाफ़ जनता की बग़ावत में औरतों की हिस्सेदारी उन्हीं के शब्दों मेंं बयान की गयी है। प्रस्तुत पुस्तक में इसमें सं
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