Sangat Sadhu Ki

About The Book

उन्होंने सब कुछ त्याग दिया था - परिवार नौकरी घर-द्वार यहां तक कि अपना नाम भी और वैरागी साधू हो गए...! ऐसे लाखों हैं - घुमन्तू बाबा भिक्षुक रहस्यपूर्ण पीरप्राजक चलते-फिरते दार्शनिक चमत्कार दिखाने वाले हशीश पीने वाले 'पवित्र लोग। ये हर जगह दिखाई पड़ जाते हैं। बड़े-बड़े फ्रेमों और कॉफी-टेबल आकार की पुस्तकों में इनकी तस्वीरें प्रचुरता से दिखाई जाती हैं! परन्तु प्रामाणिक रूप से उनके बारे में ज्यादा कुछ सुनाई नहीं पड़ता न कोई जानकारी ही मिलती है। इनमें से कुछ तो बचपन में ही साधु हो गए थे और कुछ प्रशासक दुकानदार प्रापर्टी एजेन्ट तथा चोर-डाकू होने के बाद इस साधू संसार में आए। यही सब लोग प्रस्तुत पुस्तक के पात्र हैं। ये मुक्तिकामी लोग कोई काम नहीं करते न कोई परिश्रामिक स्वीकार करते हैं। कुछ के लिए तो देवता उनके सखा हैं कुछ अद्वैत-वेदान्त सिखाते हैं तो कुछ मानवेतर योग्यताओं के सपने दिखाकर साधारण जनों को अभिभूत भी करते रहते हैं। बहुत कम ऐसे साधु होते हैं जो कठिन तपस्याओं में लगे रहते हैं परन्तु इनमें से लगभग सभी अकर्म सिद्ध के पुजारी होते हैं। इनकी निश्चलता और शुद्ध समर्पण भाव द्वारा प्राप्त सिद्धियाँ तो देवताओं के लिए भी ईर्ष्या का विषय हो सकती हैं।परन्तु पारिस्थितिक बर्बादी के कगार पर पहुंचा और बढ़ती जनसंख्या की सुनामी से त्रस्त अपने विश्व के लिए यह साधु लोग ही उस मंगल - संदेश के बाहर हैं जो हमें वाणिज्यिक सभ्यता के श्रम उपभोक्तावाद आर्थिक विकास और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चंगुल से निकाल कर मुक्ति और आत्म संयमभरी शांति का एक संभाव्य जगत दिखा सकते हैं जिसे हम बिसरा चुके हैं।पैट्रिक लेवी ने इन्हीं साधुओं के अंतरंग जीवन का रोजनामचा बड़ी ईमानदारी से इस पुस्तक में वर्णित किया है-कि कैसे जगत उनका सम्मान करता है तथा उनके जीवन-यापन के दर्शन और सीखों से लाभान्वित होकर कैसे आपका वस्त्र मानव अपने जीवन में एक आमूलचूल परिवर्तन ला सकता है।'.... संगति साधु की' एक सड़क चलते चलचित्र की भांति चलने वाला एक रोचक उपन्यास है जो साधुओं के आध्यात्मिक राह का पथ-प्रदर्शक बनकर उभरता हैं। इसको पढ़ना एक अतीन्द्रिय जागरण प्रदान करने वाला अनुभव है।फ्रेंच एवम् अंग्रेजी में 'बेस्ट सेलर' यह उपन्यास अनूदित होकर' चार अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। “एक विचार-उद्वेलित करने वाली प्रेरक और ईमानदारी से लिखी कृति जो साधुओं/ बैरागियों के जीवन का चश्मदीद वृतान्त बड़ी विशिष्टता और विविधता से प्रस्तुत करती है!""- स्पाईस मैग44'अन्तरदृष्टियों का खुलासा! यदि आपके हाथ में 'साधुज़' की एक प्रति आ जाए तो आपको 'चमकदार स्थित' के लोक में जाने के लिए एक पतली गली मिल जाती है!'- रमेश राडपैथिओमफ्रांस में 'बेस्ट सेलर रही पुस्तक 'दि कबालिस्ट' (हेब्रू में भी अनूदित ) जिसकी सन् 2002 में 'स्पिरिचुएलिटी टुडे' के पैनल के निर्णायकों ने विशिष्ट इनाम से नवाज़ा था के लेखक भी पैट्रिक लेवी ही हैं।'दि कबालिस्ट' की प्रशक्ति - 'एक आहल्लादकारी दीक्षा!'(एनी ड्यूरॉक - 'एक्चुएलिटी दे रिलीजां)पैट्रिक लेवी मूलतः एक फ्रेंच लेखक हैं जो साल में छह महीने भारत - जिसे वह 'दूसरी मां कहते हैं - में ही वास करते हैं।इन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं की खोल में सारे संसार में भ्रमण किया है तथा कब्ल सूफीवाद बौद्ध धर्म एवम् वेदान्त में गहन अध्ययन- अन्वेषण कर कई पुस्तकें लिखी हैं।
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