भारत को अपने जिन महान गायकों पर गर्व है उनमें संगीत-सम्राट तानसेन का नाम बहुत प्रसिद्ध है। उत्तर भारत की सुविख्यात ध्रुपद शैली के उन्नायकों में तो उन्हें अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया जाता है। आश्चर्य और खेद की बात है ऐसे सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ के जीवन-वृत्तांत की प्रामाणिक रूपरेखा तक से हम अपरिचित हैं। तानसेन के रचे हुए ध्रुपदों का उनके जीवन-काल से अब तक सभी संगीतज्ञों में व्यापक प्रचार रहा है किंतु उनका भी कोई प्राचीन और प्रामाणिक संकलन उपलब्ध नहीं है। उत्तर भारतीय संगीत के विख्यात उद्धारक श्री कृष्णानंद व्यास ने कलावंतों के परंपरागत घरानों और संगीत की प्राचीन पोथियों से तानसेन के ध्रुपदों को बड़े परिश्रमपूर्वक संकलित कर उन्हें अपनी महान् रचना ‘संगीत राग कल्पद्रुम’ में प्रकाशित किया था। इस प्रशंसनीय ग्रंथ के अतिरिक्त कुछ अन्य संगीत ग्रंथों में भी तानसेन के ध्रुपद मिलते हैं किंतु वे अब भी पर्याप्त संख्या में अप्रकाशित हैं और उनमें से अधिकांश प्राचीन घरानों से संबंधित कलावंतों के कंठस्थ हैं। पुस्तक के अंत में तीन परिशिष्ट हैं। प्रथम परिशिष्ट में तानसेन के पुत्रों की कतिपय रचनाओं का संकलन है और द्वितीय परिशिष्ट में समकालीन संगीतज्ञों की नामावली है। तृतीय परिशिष्ट में वे स्पुफट रचनाएँ हैं जो पुस्तक छप जाने के बाद उपलब्ध हुई हैं। पुस्तक में प्रसंगानुसार आठ चित्र भी दिए गये हैं जिनसे इसकी शोभा के साथ ही साथ उपयोगिता में भी वृद्धि हुई है।
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