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About The Book
Description
Author
इतिहास रचनेवाला संगीत महाकाव्य ऐसा न कभी हुआ न होगा. रघुवीर श्रीराम चंद्र व परम भक्त श्री हनुमान के सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ यह मनोरम व आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण चरित्र जागतिक इतिहास में अनुपम हैं. नये रूप में रामायण लिख कर उसे उत्तमतम छंद राग सरगम से अलंकृत की हुई यह दोहाबद्ध कवितारूप प्रस्तुति अपूर्व असामान्य एवं अद्वितीय है. भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो इस अनूठे महाकाव्य में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह केवल काव्य मात्र ही नही बल्कि यह गंभीर संशोधन से भरा हुआ शोधप्रबंध भी है. यह काव्य-संगीत प्रेमियों के लिये राग-छंदों का दोहाबद्ध व्याख्याओ>का ऐसा महान भांडागार है जैसा अन्य कहीं भी विद्यमान नहीं है. यह स्वरलीपी से परिपूर्ण महान ग्रंथ लेखक की दस वर्षों की काव्य तपस्या व संगीत साधना है. विश्व का पहिला रामायण श्री वाल्मीकि जी का था उनके बाद श्री तुलसी रामायण और फिर अनेकों रामायण निकले परंतु प्रस्तुत काव्य विश्व का सर्वप्रथम और एकमेव दोहाबद्ध स्वरलिपि युक्त संगीत-रामायण है.