आपको भलीभाँति याद होंगे 2020 और 2021 के वे साल जब करोना नामक एक वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व में मौत का खेल खेला था। जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति चल रही थी; सभी डरे-सहमे अपने-अपने घरों में दुबके इस भयानक त्रासदी के कमने या समाप्त होने की प्रतीक्षा में थे वैसे में अपने सगे-संबंधियों से दूर बैठे असहाय लोग सोशल मिडिया के माध्यम से इन्हीं संजीवनी विचारों के द्वारा एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने का कार्य कर रहे थे । मैं भी स्वजनों से दूर भारत-चीन की सीमा पर स्थित कित्पी तावांग में बैठा अपने सगे-संबंधियों द्वारा भेजे गए इन्हीं संजीवनी विचारों के माध्यम से स्वयं को मज़बूत करने एवं प्राणवान बनाने का काम कर रहा था । ये संजीवनी विचार शाश्वत मूल्यों पर आधारित हैं । आने वाले अनंत काल तक ये संजीवनी विचार हमें ऊर्जावान बनाने में योगदान प्रदान करते रहेंगे । जीवन-मूल्यों एवं ओजस्वी विचारों से परिपूर्ण होने के कारण ही मैंने इस पुस्तक का नाम रखा – 'संजीवनी' ।
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