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About The Book
Description
Author
इस काव्य-संग्रह में दो-तीन को छोड़कर सभी कविताएँ कोरोना काल में लिखी गयी हैं। लेकिन इसमें कोरोना की वैश्विक त्रासदी पर केवल एक कविता है जो जीवन के प्रति अदम्य आशा का संचार करने हेतु लिखी गयी है। शेष सभी कविताओं का विषय अतीत से लेकर भविष्य तक व्यक्ति के अन्तर्मन से लेकर पूरे विश्व तक विस्तृत है। सभी कविताओं के मूल में मन के भीतर और बाह्य जगत में व्याप्त विकारों प्रतिकूलताओं विकृतियों विसंगतियों और विडम्बनाओं के साथ मानवीय सम्वेदना और मूल्यों का संघर्ष चित्रित किया गया है। अपने भीतर की सारी मानवीय दुर्बलताओं के परिप्रेक्ष्य में मेरी काव्यात्मक आकुलता मुझमें बहुत पहले से विद्यमान रही है। कोरोना काल ने मुझे इन सब पर पुनर्दृष्टि डालने और इनके शोधन-प्रक्षालन का जतन करने का अवसर प्रदान किया। मैं साहित्यकार श्री कौस्तुभ आनन्द चंदोला जी का आभारी हूँ जिनके सहयोग से इस पुस्तक के प्रकाशन का मार्ग प्रशस्त हुआ। मैं अंजुमन प्रकाशन के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ कि उन्होंने मेरी इन कविताओं को प्रकाशन के योग्य समझा और इनके प्रकाशन हेतु विशेष सहयोग प्रदान किया।