औरतों के एक ऐसे स्वरुप की चर्चा जिसे सभ्यता की चादर ओढ़े मर्दों ने सृजित किया है। एक ऐसा सृजन जिसके सर्जक ही सबसे बड़ी उपेक्षा करने वाले हैं। इस पुस्तक में वर्णित एक एक कहानी सत्यता की छांव में पल बढ़कर शब्दाकार में यहां प्रस्तुत किया गया है सबको रिझाएगा समझाएगा और भी बहुत कुछ...हम लेखक व्यवस्था और कानून नहीं बना सकते लेकिन वास्तविकता को अपने लेखकीय अंदाज में जगजाहिर तो कर ही सकते। इस पुस्तक में आपबीती की असीमित शक्तियां हैं तो समाज और परिवार से परित्यक्त एक ट्रांसजेंडर की मानवीय भावनाओं का सजीव चित्रण भी है। विपदाओं से घिरी जगत जननी औरत का मजबूर नंगापन है तो समाज को मुंह चिढ़ा रहा उसका कर्म भी शब्दों का पारदर्शी जामा पहनाया हुआ आपको दिख जाएगा।
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