Sanskritik Utthan Ka Marg
Hindi


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About The Book

ईश्वर की शांति मेरी आत्मा में भरी हुई है। ईश्वर का दिया हुआ प्रकाश मेरे अंदर प्रकाशित हो रहा है। मैं सोचता हूँ; बोलता हूँ और अपने अंदर की दैवी शक्ति की आवाज सुनकर कोई कार्य करता हूँ।जिंदगी का एक साधारण-सा सत्य याद रखें : कोई भी व्यक्ति; परिस्थिति या फिर समाचार आपकी शांति का हरण नहीं कर सकता है। आप खुद ही अपने विचारों; शब्दों; इच्छाओं और प्रतिक्रियाओं में नियंत्रण खो देते हैं। आप ही खुद के नेता हैं; आप ही अपने विचारों के मालिक हैं।इस बात को जान लें कि ईश्वर को आपकी सभी समस्याओं का हल पता है और वह आपके अंदर सबकुछ बेहतर; सामंजस्य में स्वस्थ जीवन का निर्माण करते हैं। अपनी पुरानी बुरी आदतों को छोड़ दीजिए। नीचे गिरानेवाली सभी उम्मीदों को नकार दीजिए। सबसे ऊँचे और बढि़या की उम्मीद कीजिए और सबसे ऊँचा और बढि़या आपके पास आएगा। इस दुनिया में रहते हुए आपके होंठों में हमेशा ईश्वर की तारीफ रहनी चाहिए।सामंजस्य; आनंदमयता और साथ-साथ चेतन मन तथा अवचेतन मन का अभ्यास करने से ही आप स्वास्थ्य; शांति; शक्ति और सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। अपने मन में सही विचार को प्रवेश कराएँ। तब आपके मन को सही भावना प्राप्त होगी। अपने मन को ईश्वर के प्रेम से भर लीजिए। तब आप वह सब हासिल कर पाएँगे; जो इस पृथ्वी पर ईश्वर की संतान को हासिल करना चाहिए। —इसी पुस्तक से
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