सप्तपदीयम् हिंदी के सात ऐसे कवियों की कविताओं का संकलन हैं जो पारंपरिक रूप से कवि यशः प्रार्थी नहीं रहे कभी। जिन्हें जीवन और उनके पेशे ने कवि होने दिखने की सहूलियत उस तरह नहीं दी। एक दौर में और जब-तब उन्होंने कविता के फॉर्मेट में कुछ-कुछ लिखा कभी-कभार कहीं भेजा कुछ छपे - छपाये पर कवि रूप में अपनी पहचान के लिए उतावले नहीं दिखे। लंबे समय से मैं इनके इस रचनाकर्म का साक्षी रहा। इनमें अपने पड़ोसी राजू रंजन प्रसाद के साथ पिछली बैठकियों में यह विचार उभरा कि क्यों न ऐसे गैर-पेशेवर कवियों की कविताओं का एक संकलन लाया जाए। फिर यह विचार स्थिर हुआ और ऐसे समानधर्मा रचनाकारों के नाम पर विचार हुआ एक सूची तैयार हुई जिसमें से सात कवि इस संकलन में शामिल किये गये। -कुमार मुकुल
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