SARA AAKASH

About The Book

‘सारा आकाश’ की ट्रेजडी किसी सन समय या व्यक्ति-विशेष की ट्रेजडी नहीं खुद चुनाव न कर सकने की दो अपरिचित व्यक्तियों को एक स्थिति में झोंककर भाग्य को सराहने या कोसने की ट्रेजडी है संयुक्त परिवार में जब तक यह ‘चुनाव’ नहीं है सँकरी और गन्दी गलियों की खिडकियों के पीछे लडकियाँ ‘सारा आकाश’ देखती रहेंगी; लड़के दफ्तरों पार्कों और सड़कों पर भटकते रहेंगे ‘एकान्त आसमान’ को गवाह बनाकर अपने आपसे लड़ते रहेंगे दो नितान्त अकेलों की यह कहानी तब तक सच है जब तक उनके बीच का समय रूक गया है !इन कुछ बातों पर सहमत हो जाने के बाद कहानी को पूरी तरह बासु के हाथों में छोड़ देने में मुझे कोई अड़चन नहीं रही; ट्रांजिस्टर और विविध-भारती मुझे बिलकुल भी नहीं खटके फोटो खिंचवाना फिल्म जाना या बालों के पिन को लेकर बासु ने भी उसी जिंदगी को पकड़ने की कोशिश की जो उपन्यास के माध्यम से मेरा लक्ष्य था |अगर मूलभूत संवेदना पर असहमति न हो तो माध्यम की भिन्नता को इतनी छूट देना गलत भी नहीं लगता; फिल्म अपने यथार्थवाद के लिए सराही गई है |‘सारा आकाश’ आज एक प्रयोगवादी न्युवेव फिल्म है काफी प्रसिद्ध और प्रशंसित | उस पर बहुत कुछ निकला है | उपन्यास के यथार्थ और कथ्य के प्रति बेहद ईमानदारी के बावजूद वह बासु चटर्जी की अपनी रचना है; मैं अपने को ‘सारा आकाश’ उपन्यास के लेखक के रोप में ही रखना पसंद करूँगा |--राजेंद्र यादव
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