मानव-स्वास्थ्य में दाँतों का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है। जहाँ आज कल शरीर के अन्य रोगों में वृद्धि हो रही है वहीं दाँत की बीमारियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। कोई ऐसा परिवार नहीं होगा जिसमें कोई न कोई सदस्य दाँत के रोग से पीड़ित न हो। एक जमाना था जब दाँत के रोगों को कोई रोग न समझा जाता था। यदि कोई व्यक्ति दाँत की पीड़ा से पीड़ित होता तो घरेलू दवाइयों से अपना उपचार स्वयं कर लेता था। दन्त चिकित्सक के पास जाकर चिकित्सा करवाने की नहीं सोचता था। इसी कारण उस समय दन्त चिकित्सक भी कम थे । समय के साथ-साथ जहाँ अन्य रोग बढ़े- अन्य रोगों के डाक्टरों की वृद्धि हुई वहाँ दन्त चिकित्सा का भी विकास हुआ। आज नब्बे प्रतिशत लोग दाँतों के रोग से परेशान हैं। अब धीरे-धीरे दन्त चिकित्सकों की भी वृद्धि होती जा रही है। वैसे अब भी क्वालिफाइड ( कालेज से पास शुदा ) डॉक्टरों की काफी कमी है। आज कल जो दन्त चिकित्सक हैं उनमें अधिक संख्या ऐसे लोगों की है जो किसी पुराने दन्त चिकित्सक से काम सीख कर अथवा उनकी शागिर्दी करके डाक्टर बन गए हैं
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