दिल जले है गम से औ आंसू बहाना मना हैआग घर में लग रही है औ बुझाना मना है।है जिगर में शोला औ नालः उठाना मना हैचाक पर है चाक औ मरहम लगाना मना है।स्त्री-पुरुष के रिश्तों पर सबसे निराले इस पुस्तक में आत्मकथाकार सरला एक ऐसे स्वर्ग की कल्पना करती है जहाँ स्त्री-पुरुष की हैसियत में कोई फर्क नहीं है और दोनों बराबर आजादी के साथ जिंदगी जीते हैं।
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