Sarla ek Vidhwa Ki Atmkatha सरला: एक विधवा की आत्मकथा (Hindi Edition)


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About The Book

दिल जले है गम से औ आंसू बहाना मना है आग घर में लग रही है औ बुझाना मना है। है जिगर में शोला औ नालः उठाना मना है चाक पर है चाक औ मरहम लगाना मना है। स्त्री-पुरुष के रिश्तों पर सबसे निराले इस पुस्तक में आत्मकथाकार सरला एक ऐसे स्वर्ग की कल्पना करती है जहाँ स्त्री-पुरुष की हैसियत में कोई फर्क नहीं है और दोनों बराबर आजादी के साथ जिंदगी जीते हैं।
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