“सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी” महात्मा गांधी की आत्मकथा है जो उनके जीवन विचारों और आंतरिक संघर्षों का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक गांधीजी की सत्य और अहिंसा के मार्ग पर की गई यात्रा उनके व्यक्तिगत अनुभव और सामाजिक परिवर्तन के लिए उनके प्रयत्नों का विवरण देती है। यह केवल एक आत्मकथा नहीं बल्कि एक मार्गदर्शक है जो हमें जीवन में नैतिकता अनुशासन और सत्यनिष्ठा के महत्व को समझने में मदद करती है।पुस्तक की शुरुआत गांधीजी के बाल्यकाल और पारिवारिक जीवन से होती है। वे अपने माता-पिता धार्मिक परंपराओं और सामाजिक परिवेश के प्रभावों का विवरण देते हैं जिन्होंने उनके चरित्र और विचारों का निर्माण किया। गांधीजी ने अपने युवा दिनों की कमजोरियों शंकाओं और अनुभवों को ईमानदारी से साझा किया है जिससे पाठक उनके मानवतावाद और संघर्षों को सहज रूप से महसूस कर सकते हैं। उनकी यह ईमानदारी पाठकों को प्रेरित करती है कि सत्य की खोज में असफलताओं और गलतियों को भी अपनाना चाहिए।
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