जब महर्षि दयानंद जी महाराज 'वेदों की ओर लौटो' का उद्घोष कर रहे थे तो उनके उद्घोष का अभिप्राय अपने स्वर्णिम अतीत की ओर लौटने से था अर्थात अपने स्वर्णिम इतिहास को खोजकर उसे वर्तमान में स्थापित करने का संकल्प दिलाने के लिए हम भारतवासियों को उन्होंने यह नारा दिया था।<br>स्वामी जी महाराज समग्र क्रांति के अग्रदूत थे। भारत में राजनीतिक सामाजिक आर्थिक व धार्मिक सभी क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर वे भारत को भारत की आत्मा से भारत के स्वर्णिम अतीत से अर्थात भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ना चाहते थे।। उनके द्वारा लिखित अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश को हमें इसी दृष्टिकोण से पढ़ना चाहिए। प्रस्तुत पुस्तक में पुस्तक के लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा सत्यार्थ प्रकाश के आध्यात्मिक पक्ष की भी इसी प्रकार व्याख्या की गई है। निश्चित रूप से लेखक का यह प्रयास स्तवनीय है। जिन्होंने पहली बार सत्यार्थ प्रकाश का इस प्रकार सत्यार्थ करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में सत्यार्थ प्रकाश के पहले सात समल्लासों को समाविष्ट किया गया है।
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