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About The Book
Description
Author
अनादि काल से पुरुष और स्त्री एक दूसरे के पूरक रहे हैं। उनके मध्य नैसर्गिक आकर्षण होता है। यह पुस्तक कामायनी मधुशाला अभिज्ञान शाकुन्तलम और मेघदूतम जैसी कालजयी रचनाओं से प्रेरित होकर लिखी गई है। इसमें विशेष रूप से नारी सौंदर्य एवं उसके विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। कई रचनाओं में विभिन्न अलंकारों से अलंकृत कर पुरुष-स्त्री मिलन की पराकाष्ठा तक रेखाचित्र शैली में सांगोपांग चित्रित करने का प्रयास किया गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपको यह पुस्तक पढ़ कर एक बार पुनः कामायनी जैसी रचनाओं की स्मृति ताज़ा हो जायेगी। आपसे श्रृंगार रस की इस पुस्तक के लिए अनुपम स्नेह की अभिलाषा है।