संग्रह की शीर्ष कहानी सौवाँ गाँव मीनू त्रिपाठी के पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और उसके संरक्षण के प्रति आग्रह का प्रतिबिंब है। सौवाँ गाँव पर्यावरण चेतना को नई दिशा दे रही है। अपने कथ्य और कथानक में नवीन शिल्प बुनती यह कहानी गहन संवेदना से परिपूर्ण है। जहाँ चहुँओर वनस्पतियों के प्रति गहरी उदासीनता है वहीं मधुपुरवासी अपने बच्चे के जन्म पर पेड़ लगाते हैं और उससे उस नन्हे शिशु को साक्षात प्रकृति (शिवा) से आशीष दिलवाते हैं। यह कहानी ग्रामीणों के प्रकृति-प्रेम को तो उद्घाटित करती ही है श्रेष्ठ के प्रति उनके स्वाभाविक श्रद्धाभाव को भी अभिव्यक्त करती है। वृक्षों के प्रति ग्रामीणों की यह समर्पणशीलता इस कहानी का वैशिष्ट्य है।
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