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About The Book
Description
Author
कहते हैं कि प्रेम को मापा नहीं जा सकता लेकिन सभी अपने प्रगाढ़ प्रेम को जाहिर करने के लिए इसे अनेक पैमाने से मापने की कोशिश करते हैं। कोई आसमान में भरे तारे से भी ज्यादा बताता है कोई समुद्र से ज्यादा गहराई वाला तो कोई अपने जीवन से कहीं अधिक कीमती बताता है। कोई तो ये भी कहता है ऐसा कोई पैमाना नहीं है जो उसके प्रेम को माप सके। सच कुछ भी हो लेकिन सब अपनी बात को सच बताते हैं। इस किताब में लेखक ने भी प्रेम को गिनतियों में मापने की कोशिश की है और मात्रा सवा छः बताई। जब किसी से प्रेम के बदले में स्वार्थ मिले तो ऐसे रिश्तों कि उम्र बस आने वाली किसी भी सुबह या शाम तक होती है। ऐसे रिश्तों के टूटने पर दोबारा प्रेम मात्र एक डर होता है लेकिन भरोसा और प्रेम के साबित होने के बाद उस प्रेम की उम्र आजीवन रहती है। लेखक ने अपने अनुसार प्रेम कि परिभाषा और उसको मापने कि कोशिश कि है शेष आप पढकर बताइए कि लेखक इसमें कहाँ तक खरे उतरे हैं।