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About The Book
Description
Author
आमतौर पर सभी स्कूलों में वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता में एक दल के सदस्य चयनित विषय के पक्ष में विचार प्रस्तुत करते हैं और दूसरे दल के सदस्य विरोध में। इस प्रकार एक के बाद एक सदस्य एक-दूसरे के विचारों की तब तक काट प्रस्तुत करते जाते हैं जब तक सभी सदस्य नहीं बोल चुकते। अंत में अध्यक्षीय भाषण होता है जिसमें दोनों पक्षों के विचारों का निचोड़ पेश किया जाता है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से विद्यार्थियों की भाषण देने की कला में निखार आता है तथा उनकी तार्किक शक्ति प्रबल होती है। उनमें विरोधियों की कटु बातें सुनने की सहिष्णुता भी बढ़ती है। साथ ही विचारशक्ति इतनी प्रखर हो जाती है कि आगे चलकर जीवन की कठिन समस्याओं से जूझना आसान हो जाता है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से मस्तिष्क का विकास होता है झिझक खुलती है और सबसे बड़ी बात इसमें भाग लेकर विद्यार्थियों को यह अच्छी तरह समझ में आ जाता है कि जो व्यक्ति हमारे विचारों से सहमत नहीं है उसकी राय का भी महत्त्व है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों हेतु एक आवश्यक पुस्तक।