आत्मबोध आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी द्वारा लिखित संस्कृत भाषा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जो प्रकरण ग्रन्थ की श्रेणी में आता है क्योंकि एक ही विषय आत्म-ज्ञान (Self Knowledge) का विस्तृत विवरण है। इसमें 67 श्लोक हैं; प्रत्येक श्लोक में जीवन के विभिन्न अनुभवों का उदाहरण देकर अलग अलग दृष्टिकोणों से आत्मा की सच्चाई को समझाया गया है। (There is no verse here which does not have a simile.) ब्रह्मण अर्थात परमात्मा ही एकमात्र सत्य है और बाकी सब कुछ जो दिखाई देता है वह अस्थाई है; मिथ्या है इस वास्तविकता को स्पष्ट रूप से बताया गया है। (Brahman is the only Absolute Reality and all other existence in the world have only an apparent Reality.) इस ग्रन्थ का मैंने बहुत ही सरल हिंदी भाषा में प्रत्येक श्लोक का वर्णन किया है ताकि आम जनता को भी आत्म-ज्ञान की सही जानकारी हो सके।
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