1919 में प्रकाशित उपन्यास सेवासदन मूलतः उर्दू में लिखा गया था और इसका नाम था बाज़ारे-हुस्न। इससे पहले मुंशी पे्रमचन्द ने लघु उपन्यास ही लिखे थे और यह उनका पहला महत्त्वपूर्ण उपन्यास था। इसकी कहानी बीसवीं सदी में वाराणसी की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है जहाँ नायिका सुमन अपने पति के साथ रहती है। प्रेम के अभाव में उनका दाम्पत्य जीवन सुखद नहीं था। दुखी और उदास सुमन इतनी मायूस हो जाती है कि पथ-भ्रष्ट होकर बनारस के एक कोठे पर पहुँच जाती है। फिर कहानी कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि वह कोठे को छोड़ एक अनाथालय का रुख करती है और उनकी सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देती है। अन्य कई उपन्यासों की तरह प्रेमचंद का यह उपन्यास भी स्त्री-केन्द्रित है जिसमें सुमन के किरदार के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के समाज पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया है।
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