सेवासदन प्रेमचंद की क्लासिक कृतियों दर्ज है। इसे उनकी उनका पहला यथार्थवादी उपन्यास भी माना जाता है। यूॅं तो इसका प्रकाशन हिन्दी में सन् 1918 में हुआ था लेकिन प्रेमचन्द पहले (1916 में) इसे उर्दू में बाजार-ए-हुस्न के नाम से लिख चुके थे। इसने उन्हें अत्यधिक लोकप्रिय के साथ उर्दू से हिंदी का कथाकार बना दिया। स्त्री दुखांतों और संघर्षों का चित्रण सेवासदन की विशेषता है। साथ ही ये समाज की कलई खोलने का काम भी करता है। इस उपन्यास में महिलाओं के अधिकारों धर्म के ठेकेदारों जमींदारों सामाजिक मुद्दों से संबंधित कई सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं वह ढोंग पाखंड प्रेम त्याग कर्तव्य न्याय और अन्याय का अनूठा संगम पाठक के सामने रखते हैं। यह उपन्यास सुमन नाम की महिला के जीवन और उसके संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमता है। जिसके माध्यम से लेखक तत्कालीन समाज में हो रहे अत्याचारों का जीवंत चित्रण ही नहीं प्रस्तुत करते बल्कि वह एक पूरे युग का वर्णन करते हैं! उपन्यास में जहॉं नारी पराधीनता वेश्या का जीवन दहेज प्रथा और मध्यम वर्ग की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं को उकेरा है वहीं उन्होंने यथासंभव समाधान भी प्रस्तुत किया है। प्रेमचन्द ने मानस के लिए एक नई विषयवस्तु दी जिसे साहित्य जगत नहीं बल्कि समाज ने भी सराहा था। यह उपन्यास आज भी उतना ही लोकप्रिय है जितना की अब से 100 साल पहले था।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.