Shabd-Shor Kavy Sangrah

About The Book

‘शब्द-शोर’ काव्य संग्रह मन में भावों के चल रहे उथल-पुथल शोर को काव्य के रूप में संग्रहित करने का प्रयास है। भावनाएं जो हमारे साथ-साथ दूसरे लोग भी महसूस करते हैं। पाठकगणों के समक्ष उन्हीं भावों को कविता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस काव्य संग्रह की हर एक कविता में अलग भाव है जो पाठकों के दिल को छू लेने वाला है। ‘मुझे नहीं आता’ में मैंने अपने बारे में बताया है। ‘मैं गीतिका हूँ’ ‘गीत महिमा’ में गीतों में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। इस काव्य संग्रह में बचपन की यादें हैं स्कूल का सफर है परिवार की महत्ता है रिश्तों की बात बताई गई है। मां पिता स्त्री बेटी के बारे में बताया गया है।बढ़ते अपराध व हादसों को काव्य के रूप में समाहित किया गया है। मार्मिक कविताओं की श्रेणी में ‘अब तो समझो’ आजादी का मतलब यही है ‘कन्या वध’ ‘गिरते मूल्य’ ‘देख मैं तेरे कल का आईना हूँ’ आदि कविताएं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की गई हैं। धन्यवाद!- मेघा मिटावा
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