काव्य का सौंदर्य उसके विभिन्न रंगों रूपी विद्याओं में समाहित है जिन्हें शब्दों के माध्यम से उकेरा जाता है! शब्द जब पुष्प बनकर भिन्न रंगों में खिलते है तो काव्य के सौन्दर्य से साहित्य रूपी गुलशन सुसज्जित होकर महकने लगता है!कविता भावों के सम्प्रेषण का सबसे अच्छा और उम्दा तरीका है जो सीधे ह्रदय को छूता है किसी भी साधारण वक्तव्य को यदि काव्य की किसी विधा में ढालकर प्रस्तुत किया जाए तो उसका सौंदर्य स्वत: ही निखर जाता है शब्द सबसे शक्तिशाली होते है इनमे पत्थर को पानी में परिवर्तित करने की शक्ति होती है 'गागर में सागर' समेटने और 'पत्थर में फूल' खिलाने की क्षमता शब्दों के काव्य प्रवाह में निहित होती है।अपने विचारो को काव्य रूपी रंगों में रंगकर *शब्दों के रंग-कविता के संग* नामक पुस्तक के रूप में प्रेषित कर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का कवि का एक तुच्छ प्रयास मात्र है!आशा है यह पुस्तक पाठकों के हृदय पटल पर अपनी छाप छोड़ने और मन में जगह बनाने के अपने प्रयत्न पर खरी उतरेगी!धन्यवादडी. के. निवातिया
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