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About The Book
Description
Author
पहाड़ों की गोद में रहकर पेड़ों की छावधूप के गांव ऋतुओं के दांव रिश्तों के पतझड़/बसंत एवं जिंदगी के खट्टे मीठे अनुभवों से होते हुए न जाने कब डायरी शायरी गीत और कविताओं के बीच से गुज़रता हुआ लिखने का यह सफर उबड खाबड रास्तों की उतार चढाव से स्वयं की किताब तक आ पहुंचा ; अह्सास बेहद रूमानी है। कभी डायरी के पन्नों में समेटे आंसुओं तथा पसीजे दिल की करुणा को धूप की ओट से निकलती बारिश की फुहारों के समान कुछ गीत कविताएँ एवं पंक्तियाँ शब्दों की किलकारी के माध्यम से पाठकों के समक्ष हैं।