युवा कवयित्री मीनाक्षी भसीन के पहले कविता संग्रह शब्दों के पंख की कविता की ये पंक्तियाँ कवयित्री के सरोकारों संकल्पों को अभिव्यक्ति देती हैं । धूप बनने की आकांक्षा उजाला बाँटने की आकांक्षा अंधकार अवसाद निराशा को हटाकर मन में छिपी बहार को खिला देने की आकांक्षा एक पवित्र आकांक्षा एक नेक मासूम आकांक्षा । मन में छिपी बहार ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रतिभा भी हो सकती है अच्छाई भी हो सकती है खुशी को पहचानने खुशी को बाँटने की सोच भी हो सकती है । कवयित्री की यह सोच पाठक को प्रेरित करने सकारात्मक संदेश देने जीवन को सहज सुखमय सफल सार्थक बनाने का सलीका सुझाने वाली सोच मात्र इसी कविता में ही नहीं मिलती वरन संग्रह की लगभग सभी कविताएं ऐसी ही सकारात्मक प्रेरणादायक सोच से सजी मिलती हैं । यूँ कवयित्री की अनेक कविताओं में तीव्र आक्रोश वेदना करुणा के स्वर भी उपस्थित हैं किंतु ऐसे स्वर उसकी सजग दृष्टि तथा समाज की विसंगतियों से जूझने तथा एक सुंदर समाज गढ़ने की छटपटाहट का ही परिचय देते हैं ।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.