Shabdon ke Sath-Sath

About The Book

डॉक�टर स�रेश पंत का जन�म उत�तराखंड के �क गांव में ह�आ और वहीं से उन�होंने अपनी प�रारम�भिक शिक�षा पूरी की। उसके बाद उन�होंने आगरा विश�वविद�यालय से स�नातक दिल�ली विश�वविद�यालय से हिन�दी में परास�नातक हिमाचल प�रदेश विश�वविद�यालय से संस�कृत में परास�नातक मेरठ विश�वविद�यालय से पी�चडी के साथ ही तमिल तथा रूसी भाषा में डिप�लोमा कोर�स भी किया। तत�पश�चात साठ के दशक के पूर�वाद�ध से आप उत�तर प�रदेश और दिल�ली के विभिन�न संस�थानों में हिन�दी शिक�षण के क�षेत�र में विषय विशेषज�ञ पठन सामग�री निर�माता शिक�षक प�रशिक�षक लेखक समीक�षक इत�यादि विविध प�रकार के महती रूपों में सक�रिय हैं। भाषा की क�ंजी अब आपके हाथों में!<br>प�रम�ख भाषाविद �वं भाषा विज�ञानी स�रेश पंत कई दशकों से भाषा से सम�बन�धित समस�याओं का समाधान करते आ� हैं। सोशल मीडिया और ब�लॉग�स के माध�यम से भी वे समय-समय पर अपने भाषाई ज�ञान को सबके साथ सा�ा करते रहे हैं। यह प�स�तक उनके आजीवन हिंदी शिक�षण प�रशिक�षण और उसके अन�प�रयोग से ज�ड़े अन�भवों का सार है।<br>हिंदी को बरतते ह�� कई बार शब�दों की उत�पत�ति उनकी वर�तनी प�रयोग दो समान शब�दों में अर�थ की भिन�नता शब�द की विविध अर�थ छटाओं की सम� तथा इसी प�रकार की अनेक समस�या�� सामने आती हैं। इन�हीं उल�नों को सम�ने और स�ल�ाने में आपकी मदद करेगी यह प�स�तक। साथ ही आप पा��गे पारम�परिक अर�थ और विविध सन�दर�भों में उनके प�रयोग प�रचलित अर�थों में सूक�ष�म अन�तर शब�द के पर�याय और आंचलिक स�वरूपों में उनकी विविधता।<br>यह प�स�तक हर वर�ग के हिंदी प�रेमी के लि� काम की है; विशेषकर हिंदी शिक�षण अध�ययन अन�वाद मीडिया आदि से ज�ड़े कर�मियों और प�रतियोगी परीक�षाओं के अभ�यर�थियों के लि� व�यवहारिक कोश के समान उपयोगी।
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