भारत की एकमात्र महिला प्रधानमन्त्री रहीं इन्दिरा गाँधी के जीवन पर आधारित है लेखक राजेन्द्र मोहन भटनागर की यह पुस्तक। यह इन्दिरा गाँधी की 67 सालों की उथल-पुथल भरी घटनापूर्ण ज़िन्दगी की गाथा है जो इस बात पर प्रकाश डालती है कि एक संकोची एकान्त पसन्द गुमसुम रहने वाली लड़की में ऐसी कौन सी विलक्षणताएँ थीं जिनके कारण वह दो बार देश की प्रधानमन्त्री चुनी गयीं।बैंकों के राष्ट्रीयकरण बांग्लादेश के जन्म एमरजेंसी और ब्लू-स्टार ऑपरेशन जैसे ऐतिहासिक निर्णयों से जहाँ इन्दिरा गाँधी की छवि एक दबंग निष्ठुर नेता की थी वहीं अपने व्यक्तिगत जीवन में वह संवेदनशील कला और संस्कृति की परख रखने वाली ज़िन्दगी की हर छोटी-से-छोटी बात पर ध्यान देनेवाली महिला और ममतामयी माँ थीं। उनके जीवन के इन सभी पहलुओं को एक साथ बुनकर लेखक ने एक रोचक और पठनीय जीवनी का सृजन किया है।
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