*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹205
₹300
31% OFF
Paperback
Out Of Stock
All inclusive*
About The Book
Description
Author
शैलेन्द्र की रचना प्रक्रिया पर सहसा ही कोई बयान देना दरअसल जोिऽम का काम है। एक कवि के रूप में शैलेन्द्र के गीत इतनी विस्तृत भाव भूमि पर हैं कि उन गीतों के अनुशीलन के लिए अतिरित्तफ़ और विहंगम दृष्टि की जरूरत होगी। किसी भी कवि के रचना कर्म के परीक्षण के अनेक पक्ष हो सकते हैं। विषय वस्तु से लेकर भाषा शैली तक पर इन सब में सबसे महत्वपूर्ण तो रचना में निहित मानवीय संवेदना ही होगी। गीतकार शैलेन्द्र के इसी पक्ष को केंद्र में रऽ कर विश्लेषण करते हैं। इस मत को मैं पूरे विश्वास के साथ प्रेषित करना चाहूंगा कि सिनेमा के सौ बरस से अधिक के इतिहास में समूचे धर्मग्रंथों का सार मानवीय सम्वेदना के रूप में शैलेन्द्र के इस गीत में मिल जाता है - ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार-- किसी का दर्द मिल सके तो लें उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम हैं----’