Shayad Vo Ghazal Ho
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About The Book

विनोद कुमार गुप्त (निर्मल विनोद) कार्य-क्षेत्रः अध्यापन (मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी से सेवा-निवृत्त) गीत-नवगीत कविता ग़ज़ल कहानी शोध-समीक्षा सम्पादन स्तंभ-लेखन एंकरिंग अभिनय दूरदर्शन और आकाशवाणी से समाचार-वाचन। कृतियांः मौलिक (हिंदी) ‘पत्थरों का दरिया’(गीत नवगीत ग़ज़ल संग्रह 1976) ‘बयार के पंखों में’ (कविताएं 1978) ‘साक्षी संध्याओं के’ (नवगीत 1982) ‘टूटते क्षितिज के साये’ (नवगीत 1996 पुरस्कृत) ‘धूप-धूप फ़ासला’ (ग़ज़लें 1998) ‘छेड़ ग़ज़ल ऐसी निर्मल’ (ग़ज़लें 2023) ‘शायद वो ग़ज़ल हो’ (ग़ज़लें 2023) ‘अनंत जल-यात्रा’(नवगीत प्रेस में) अनूदित (हिंदी में): ‘कड़वे घूंट’(नरसिंह देव जम्वाल कृत डोगरी नाटक ‘कौड़े घुट्ट’ का अनुवाद 2017) ‘वे भी दिन थे’ (कर्नल शिवनाथ कृत ‘ओ बी दिन हे’ नामक आत्मकथा का डोगरी से हिंदी में अनुवाद 2019) अनूदित (डोगरी में) : ‘वितस्ता दा त्रीआ कंढा’( महाराज कृष्ण संतोषी के पुरस्कृत हिंदी कविता-संग्रह ‘वितस्ता का तीसरा किनारा’ का डोगरी में अनुवाद। जे एंड के एकेडेमी आफ़ आर्ट कल्चर एंड लेंग्वेजिज़ द्वारा प्रकाशित 2015 ) ‘देहरा च अज्जबी उगदे न साढ़े बूह्टे’ (रस्किन बांड कृत पुरस्कृत कथा-संग्रह ‘Our Trees Still Grow in Dehra’ का अनुवाद साहित्य अकादेमी नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित: 2016) सम्मान/पुरस्कार: उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘सौहार्द सम्मान’ (2018) साहित्य सेवा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार का ‘स्टेट अवार्ड’(2016) ‘टूटते क्षितिज के साये’ के लिए केन्द्रीय हिंदी निदेशालय मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार से हिंदीतर हिंदी लेखक श्रेष्ठ कृति पुरस्कार (1997-1998) जम्मू-कश्मीर राज्य और राज्येतर अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित
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