This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.समकालीन उर्दू शायरी में ग़ज़ल का पर्याय बन चुके बशीर बद्र हमारे दौर के सर्वाधिक लोकप्रिय शायर हैं । पूरे संसार में जहाँ भी उर्दू और हिन्दी शायरी के पाठक या श्रोता हैं वहाँ तक इनकी ख्याति चन्दन की खुशबू की तरह फैली हुई है ।आम जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को काव्यात्मकता प्रदान करके उन्हें शेर में ढाल देने की जो कला बशीर बद्र के पास है वह सदियों में जाकर कहीं किसी को नसीब होती है । आम बोलचाल की सरल और सहज भाषा में अपनी संवेदनाओं को मार्मिक अभिव्यक्ति देने वाले बशीर बद्र अपना कोई सानी नहीं रखते ।उजालों की परियाँ और धूप का चेहरा के बाद रोशनी के घरौंदे बशीर बद्र की हृदयस्पर्शी ग़ज़लों का ऐसा संकलन है जिसके एक-एक शेर में पाठक को अपने दिल की आवाज़ सुनाई देगी ।सूफी काव्य परंपरा में बुल्लेशाह का नाम बहुत ही आदर और मान से लिया जाता है। आज से वर्षों पूर्व सामाजिक कुरीतियों धर्मो के आपसी विद्षों व कर्मकांडों के मध्य अपनी काफियों के माध्यम से जन-जागरण का संदेश देने वाले बाबा बुल्लेशाह आज भी हमारे हृदय में जीवित हैं। यद्यपि उन्होंने दोहों बारहमाहों सीहरफी व गंढों आदि की रचना भी की किंतु वे अपनी कालजयी काफियों के माध्यम से ही जनसमुदाय में अपनी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। संयोग विरह प्रेम की उत्कट अभिव्यक्ति रहस्यवाद उपदेश आदि के रंगों से सराबोर इन काफियों की मिठास वर्णनातीत है। हमारी जनश्रुतियों मौखिक गाथाओं व स्थानीय मुहावरों के बीच चलते बुल्लेशाह को पलभर के लिए भुलाया नहीं जा सकता। आज भी उनकी वाणी उतनी ही प्रासंगिक व सार्थक है जितनी कभी पहले रही होगी।
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