This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.हिन्दू धर्म में त्रिमूर्ति के तीन देवताओं में से एक विष्णु हैं जिन्हें जग का पालनकर्ता भी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में विष्णु को दस अवतारों वाला दशावतार माना गया है और श्रीराम और श्रीकृष्ण उनके सबसे प्रमुख अवतार हैं। विष्णु का निवास दो अलग-अलग जगहों पर है: दुनिया से दूर बैकुंठ में और दूसरा क्षीर-सागर में जहां पर वह अनन्त शेष पर विराजमान हैं। भगवद्गीता में विष्णु को विश्वरूप या विराटपुरुष भी माना गया है। इस जग पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किए सदा प्रसन्न दिखने वाले विष्णु की चार बांहे हैं जिनमें उन्होंने कमल का फूल गदा शंख और सुदर्शन-चक्र पकड़ रखा है। चार हाथों में पकड़ी अलग-अलग वस्तुओं का क्या रहस्य है ? उनके पाँच अस्त्र भी हैं उनका क्या महत्त्व है? विष्णु को मोक्ष या मुक्ति दिलाने वाला मुकुन्द क्यों कहा जाता है ? जानिए इन सब रहस्यों को-इस रोचक पुस्तक में।भारत के हर प्रान्त हर कस्बे और यहाँ तक कि हर गाँव में अलग-अलग देवी पूजी जाती हंै और प्रत्येक का अपना अलग रूप स्वरूप और विशेषता है। प्राचीन हिन्दू पौराणिक कहानियों और किंवदंतियों के शोध पर आधारित इस पुस्तक में लेखक देवदत्त पट्टनायक खोजबीन कर रहे हैं कि पिछले चार हज़ार वर्षों में देवी की अवधारणा कैसे बदली है। उन्होंने पाया कि जितनी भी देवियाँ हैं उन सभी की उत्पत्ति पाँच मुख्य स्वरूपों से हुई है। पहला स्वरूप है जिसमें देवी को प्रकृति के रूप में माना गया है। देवी का दूसरा स्वरूप है जननी के रूप में है जिसमें ममता उसका सबसे बड़ा गुण है। देवी का तीसरा स्वरूप है पुरुष को लुभाकर शारीरिक भोग-विलास से जीवन-चक्र में बाँधने वाली अप्सरा। जहाँ स्त्री घर-गृहस्थी के बन्धन में बँध जाती है तो उजागर होता है उसका चैथा स्वरूप पत्नी के रूप में जो अपने पतिव्रतता से चमत्कार करने की शक्ति भी रखती है। पाँचवाँ स्वरूप है बदला लेने वाली डरावनी खूँखार आसुरी का। देवी के इन पाँच स्वरूपों को लेखक ने बहुत ही रोचक लोककथाओं और किंवदंतियों के ज़रिये पाठक के सामने उजागर किया है।देवदत्त पट्टनायक पौराणिक विषयों के जाने-माने विशेषज्ञ हैं। पौराणिक कहानियों संस्कारों और रीति-रिवाज़ों का हमारी आधुनिक ज़िन्दगी में क्या महत्त्व है इस विषय पर वह लिखते भी हैं और जगह-जगह व्याख्यान भी देेते हैं। इनकी पन्द्रह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और टीवी पर इनका कार्यक्रम भी दिखाया जाता है। विष्णु के सात रहस्य शिव के सात रहस्य शिखण्डी और कुछ अनसुनी कहानियाँ देवी के सात रहस्य भारतीय पौराणिक कथाएँ और पशु उनकी अन्य बहुचर्चित पुस्तकें हैं।असामान्य यौनप्रवृत्ति कोई आधुनिक या पश्चिमी बात नहीं है। दो हज़ार वर्षों से भी पुरानी हिन्दुत्व की विशाल मौखिक और लिखित परम्पराओं में असामान्य यौनप्रवृत्ति की कई कथाएँ और उदाहरण पाए जाते हैं जैसे महाभारत में शिखण्डी जो अपनी पत्नी को सन्तुष्ट करने के लिए पुरुष बना; या फिर महादेव जो इसलिए स्त्री बने ताकि अपने भक्त के बच्चे को जन्म दे सकें; या चूडाला जो अपने पति को ज्ञान देने के लिए पुरुष बनी-ये और ऐसी अनेक कथाएँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं। दिलचस्प और हृदयस्पर्शी यहाँ तक कि उद्विग्नता पैदा करने वाली ये कथाएँ इस बात की साक्षी हैं कि हमारे देश में असामान्य यौनप्रवृत्ति की कितनी पुरानी परम्परा है।देवदत्त पट्टनायक पौराणिक विषयों के जाने माने विशेषज्ञ हैं। पौराणिक कहानियों संस्कारों और रीति-रिवाज़ों का हमारी आधुनिक जि़न्दगी में क्या महत्त्व है इस विषय पर वह लिखते हैं और जगह-जगह व्याख्यान भी देते हैं। इनकी पन्द्रह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और टीवी पर इनका कार्यक्रम भी दिखाया जाता है। विष्णु के सात रहस्य शिव के सात रहस्य और देवी के सात रहस्य उनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं।कैसे एक मछली दुनिया को बचा लेती है एक घोड़ा कैसे आसमान में उड़ता है राजा को कैसे पता चलता है कि उसकी प्रिय पत्नी वास्तव में मेढक है। हिन्दू पुराकथा शास्त्रों में ऐसे अनेक किस्से-कहानियाँ है जिसमें पशु-पक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। क्या कारण है कि कुछ को तो देवी-देवताओं के समान पूजा जाता है और कुछ से दूरी ही रखी जाती है? कुछ पशुओं की तो मनुष्यों से शत्रुता है और कुछ उनके साथ जीवन भर निभाने वाला नाता जोड़ते हैं। ऐसा कैसे हुआ कि एक हिरण ने रामायण में इतनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ? क्यों और कैसे गरुड़ नागों का जानी दुश्मन बना ? और कैसे एक नेवले ने युधिष्ठिर को त्याग का पाठ पढ़ाया? ऐसे ही अनेक रोचक प्रश्नों के उत्तर देवदत्त पट्टनायक की इस पुस्तक में मिलेंगे।हिंदुतत्व में स्त्री को देवी के समान माना गया है | देश के विभिन्न हिस्सों में देवी के अलग-अलग रूप पूजे जाते हैं| कहीं वह प्रकृति के रूप में माता हैं कहीं पर मानवता की स्रष्टा है कही पर ज्ञान कि देवी सरस्वती है तो कहीं पर सम्पदा कि देवी लक्ष्मी है | इन अलग अलग रूप के क्या महत्व हैं और इस देवी से जुड़े प्रतिक और कर्मकाण्डो का क्या मतलब है इन्ही सब बातों को समझने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया हैं | देवदत्त पट्टनायक पौराणिक विषयों के जाने-माने विशेषज्ञ हैं। पौराणिक कहानियों संस्कारों और रीति-रिवाज़ों का हमारी आधुनिक जि़न्दगी में क्या महत्त्व है इस विषय पर वह लिखते हैं और जगह-जगह व्याख्यान भी देते हैं। इनकी पन्द्रह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और टीवी पर इनका कार्यक्रम भी दिखाया जाता है। विष्णु के सात रहस्य शिव के सात रहस्य और शिखण्डी और कुछ अनसुनी कहानियाँ उनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं। प्रखर तपस्वी शिव हिन्दू धर्म के सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। शरीर पर शेर की खाल ओढ़े सिर पर जटाएँ बाँधे गर्दन में एक साँप लपेटे दूर-दराज़ के ठंडे और वीरान कैलाश पर्वत पर रहने वाले शिव के कई रूप हैं। कहीं तो वह कैलाश पर्वत पर धूनी रमाये योगी का रूप लेते हैं और कहीं अपनी पत्नी पार्वती के साथ गृहस्थ का रूप धारण करते हैं। हिन्दुओं के लिए शिव अति पूजनीय हैं और उनकी आराधना का सबसे लोकप्रिय प्रतीक रूप है शिवलिंग। क्या यह शिवलिंग मात्र एक यौन का प्रतीक है - कई विद्वानों का तो ऐसा ही मानना है किन्तु कई इससे सहमत नहीं हैं। शिव के लिंग रूप के यथार्थ का केन्द्र है यह पुस्तक। इस लिंग रूप प्रतीक के आध्यात्मिक संकेतों और अर्थों को समझने के लिए शिव-भक्ति के साथ जुड़े सभी कर्मकांड प्रतीक और कथाओं के गहन शोध के बाद आम पाठक के लिए प्रस्तुत है यह अति रोचक और ज्ञानवर्धक पुस्तक।
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