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About The Book
Description
Author
शिव देवों के देव और गुरुओं के गुरु हैं। किसी भी युग में उनसे श्रेष्ठ गुरु न तो हुआ है और न होगा। मौजूदा युग में कई गुरु अपने शिष्यों को उपलब्ध ही नहीं हो पाते हैं। उनके शिष्य सीधे अपने गुरु से नहीं मिल पाते और मार्गदर्शन के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। ऐसे में भगवान् शिव को गुरु धारण करना सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। शिवशिष्य शिवगुरु से अपने सवालों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। उनसे बात कर सकते हैं। अपनी कामनाएँ पूरी करा सकते हैं। समस्याओं का हल पा सकते हैं। मदद के लिए शिवगुरु से देवदूतों की माँग कर सकते हैं। शिवगुरु अपने शिष्यों को कभी निराश नहीं करते। इस पुस्तक में विद्वान् लेखक ने इन सब का विधान दिया है जिन्हें अपनाकर कोई भी शिव को गुरु स्वरूप धारण कर सकता है। उन्हें अपने जीवन में शामिल कर सकता है। उनसे अपनी बातें मनवा सकता है। उनको साक्षी बनाकर सिद्धियाँ अर्जित कर सकता है। जीवन के भोगों का सुख उठाते हुए मोक्ष की राह आसान कर सकता है। इसे गृहस्थ गृहस्थ जीवन के संत और आध्यात्मिक संत सभी सामान रूप से अपना सकते हैं। जिन्होंने किसी अन्य को गुरु धारण किया है वे भी शिव को गुरु धारण कर सकते हैं। सबका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है|